राजकीय बाल गृह तंत्र के पूर्व फार्मेसिस्ट और महिला केयर टेकर समेत आठ कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया है। अपर सचिव समाज कल्याण मनोज चन्द्रन के जाँच रिपोर्ट में बालक और बालिकाओं के साथ अमानवीय व्यवहार और आपराधिक लापरवाही की पुष्टि हुई थी। खासतौर से दो नवजात शिशु की मृत्यु को लेकर तंत्र की भूमिका ज्यादा संदिग्ध पर पायी गयी है। नेहरू कॉलोनी थाने की महिला दरोगा ने शुक्रवार देर रात तक इस मामले में एफआईआर कराई है। नारी निकेतन के बाल राजकीय बाल गृह शिशुओं की मौत और बालिकाओं से अमानवीय व्यवहार को लेकर कई माह से सुर्खियों में चल रहा था। सदन तंत्र पर हर लापरवाही की बड़़ी सफाई से पर्दा डालने में कामयाब होता रहा। समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव मनोज चन्द्रन ने प्रकरण को गंभीरता से लेकर 22 जुलाई और 29 अगस्त को राजकीय बाल गृह का निरीक्षण कर कई पेजों की गोपनीय जांच रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें दो नवजात की मौत में कर्मचारियों की आपराधिक लापरवाही का वर्णन किया गया। वहीं पांच अन्य बालिकाओं के मामलों में अमानवीय व्यवहार के साथ जिम्मेदारियों की अनदेखी का उल्लेख किया था। इसी कड़ी में अभियोग पंजीकृत करने के लिए जांच रिपोर्ट नेहरू कॉलोनी थाने में भेजी गयी थी। नेहरू कॉलोनी थाने की दरोगा आशा पंचम ने इसी रिपोर्ट के आधार पर
अपनी जांच पर मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसमें राजकीय बाल गृह के पूर्व फार्मेसिस्ट हरिकृष्ण सेमवाल और केयर टेकर रूबिना के साथ मंदा, शांति, दीपा करण, सुशीला और सरोजनी को आरोपी बनाया है। पूर्व फार्मेसिस्ट हरिकृष्ण सेमवाल अब हरिद्वार में तैनात बताए गए है। जबकि संविदा पर आई महिला केयर टेकर रूबीना मंदा,शांति और सुशीला अब यहां
कार्यरत नहीं है। वहीं जांच रिपोर्ट देने वाले अपर सचिव मनोज चन्द्रन फिलहाल वन विभाग में तैनात है। अपर सचिव समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट के आधार पर नेहरू कॉलोनी थाने में राजकीय बाल गृह के कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।