मुंबई।  बोहरा समुदाय की महिलाओं के एक समूह ने बुधवार को राजनीतिक दलों से आग्रह किया किया कि वे समुदाय में प्रचलित महिलाओं के खतना की प्रथा को खत्म करने के लिए कदम उठाएं और इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्रों में शामिल करें।

‘महिला खतना के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ पर महिलाओं ने यह आवाज उठायी है। हर साल यह दिन छह फरवरी को मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रथा/परंपरा को मानवाधिकार हनन की श्रेणी में रखा है।

महिला खतना की शिकार हुई महिलाओं के निजी संगठन ‘वीस्पीकआउट’ की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘तमाम राजनीतिक दल महिला अधिकारों और कन्या शिशु की जीवन रक्षा की बात करते हैं। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि महिला खतना पर उनका रूख क्या है? क्या वे इसे खत्म करेंगे? क्या वह इसपर प्रतिबंध का समर्थन करेंगे। यदि हां, वह हमारा वोट पाने के अधिकारी हैं।’’

बयान में कहा गया है कि चूंकि इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के घोषणापत्र का हिस्सा होना चाहिए।

महिला खतना पीड़ित और वीस्पीकआउट की सदस्य मासूमा रानाल्वी का कहना है कि इस साल जब देश में चुनाव होने हैं, वे चाहती हैं कि भारत के सभी नेता बोहरा महिलाओं की अपील सुनें और महिला खतना समाप्त करने के लिए कदम उठाएं।

वह कहती है कि राजनीतिक दलों को कन्याओं के सम्मान की रक्षा के प्रति और संवेदनशील तथा जवाबदेह होने की जरूरत है। महिला खतन उनके एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए।