अब पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होगीए क्योंकि सरकार इसको अपराधों और अपराधियों के राष्ट्रीय ब्यौरे से जोडऩे की योजना बना रही है। इस ब्यौरे से एक क्लिक पर आवेदकों की पृष्ठभूमि की जानकारी मिल सकेगी। यह जानकारी केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने दी।
उन्होंने बताया कि अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम्स परियोजना ;सीसीटीएनएसद्ध को विदेश मंत्रालय की पासपेार्ट सेवा के साथ जोड़े जाने की उम्मीद है। यह एक साल में पासपोर्ट आवेदकों का आनलाइन वेरिफिकेशन पुलिस की ओर से खुद जाकर सत्यापन करने की व्यवस्था की जगह लेगा।कुछ राज्यों में पहले से ही यह व्यवस्था लागू है। पुलिस को आवेदक के पते पर जाने के लिए हाथ में पकड़े जा सकने वाले उपकरण दिए जाएंगे। उनकी जानकारियां नेटवर्क पर डाली जाएंगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल पुलिस पोर्टल नागरिकों को आनलाइन शिकायत पंजीकरण और पृष्ठभूमि सत्यापन का आग्रह जैसी सुविधाएं देगा।
इससे पहले गृहमंत्री ने पोर्टल शुरू करने के बाद कहा कि पुलिस पोर्टल राज्य पुलिस और केन्द्रीय जांच एजेंसियों के लिए राष्ट्रीय ब्यौरे से 11 सर्च और 46 रिपोर्ट उपलब्ध कराएगा। केन्द्रीय जांच एवं अनुसंधान एजेंसियों को अपराध आंकड़ों तक पहुंचने के लिए डिजिटल पुलिस ब्यौरे हेतु उपलब्ध कराए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि सीसीटीएनएस ने 15398 थानों में से 13775 को साफ्टवेयर में 100 प्रतिशत डेटा डालने का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल सीसीटीएनएस राष्ट्रीय ब्यौरे में अतीत और वर्तमान आपराधिक मामलों से जुड़े करीब सात करोड़ डेटा रिकार्ड हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि सीसीटीएनएस परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यूनतम सरकार कारगर शासन के सपने को पूरा करने में मदद करेगी।
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सीसीटीएनएस पूरे राष्ट्रीय अपराध एवं अपराधी ब्यौरे पर पूरे भारत में खोजने में मदद करेगा और इस ब्यौरे तक देशभर में जांच अधिकारियों द्वारा पहुंचा जा सकता है। सीसीटीएनएस परियोजना देशभर के करीब 15398 थानों और पांच हजार अतिरिक्त शीर्ष पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों को आपस में जोड़ेगा। साथ ही सभी थानों में प्राथमिकी दर्ज होनेए जांच तथा आरोपपत्र के संबंध में डेटा का डिजिटलीकरण करेगा।