यही कारण है कि जीवन में अधिकतर उपाय शनि के ही किए जाते हैं। शनि की दृष्टि टेढ़ी है। जब वे एक राशि में रहते हैं तब वह उस राशि से पीछे की राशि और आगे की राशि पर भी अपनी नजर बनाए रखते हैं। शनि अभी धनु राशि में वास कर रहे हैं, साढ़ेसाती का प्रभाव वृश्चिक, धनु और मकर पर चल रहा है। वृष और कन्या राशि पर ढैय्या भारी है। शनि किसी के जीवन में क्या फल देगा, शुभ प्रभाव होंगे या अशुभ , इसका विवेचन, कुंडली के 12 भावों, 12 राशियों, 27 नक्षत्रों, शनि की दृष्टि, उसकी गति, वक्री या मार्गी स्थिति, कारकत्व, जातक की दशा, गोचर, साढ़ेसाती या ढैय्या, ग्रह के नीच, उच्च या शत्रु होने या किसी अन्य ग्रह के साथ होने, ग्रह की डिग्री, विशेष योगों, कुंडली के नवांश आदि के आधार पर किया जाता है, केवल एक सूत्र से नहीं।
वास्तविकता में शनि ग्रह न्यायाधीश है जो प्रकृति में संतुलन पैदा करता है व हर प्राणी के साथ न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता व अस्वाभाविकता और अन्याय को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्हीं को प्रताड़ित करता है। यह उपाय करते रहें, शनि रहेंगे प्रसन्न-
गरीबों को जूते-चप्पल भेंट स्वरूप दें।
नहाने के पानी में काले तिल डालकर स्नान करें।
हर शनिवार पीपल पूजा करें।
मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी को चूरमे और लड्डू का भोग लगाएं।
काली गाय की सेवा करें।