अदालत ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग लड़की की शादी करने के मामले में लड़की के पिता को आजीवन कारावास, लड़की की दादी, दूल्हे और दोनों पक्षों पंडितों समेत शादी कराने में शामिल सात लोगों को 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई है। लड़की का पिता और मां पिछले आठ माह से जेल में हैं, जबकि अन्य जमानत पर छूटे हुए थे। अदालत के फैसले के बाद अन्य दोषियों को भी जेल भेज दिया गया।
विशेष सत्र न्यायाधीश डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गिरीश चंद्र फुलारा, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शेखर चंद्र नैल्वाल और सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी भूपेंद्र कुमार जोशी ने मामले की पैरवी की और अदालत में आठ गवाह पेश किए। गवाहों और दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश डॉ. शर्मा ने लड़की के पिता राजन राम पुत्र हरीश राम को मानव तस्करी यानी धारा 370 (4) और 120 बी के तहत आजीवन कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अदालत ने दूल्हे गजेंद्र सिंह पुत्र ननुवा निवासी नगला केशू (अलीगढ़) और शादी कराने की साजिश में शामिल सुंदरी देवी पत्नी हरीश राम (लड़की की दादी), पुष्पा देवी पत्नी मेघेंद्र सिंह, मेघेंद्र सिंह पुत्र भवर सिंह, जगदीश राम पुत्र राम लाल और देवेंद्र कुमार पुत्र जगदीश राम (दोनों पक्षों के पंडित) को धारा 370 (4) और 120 बी के तहत 10-10 साल का कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माना और जुर्माना अदा नहीं करने पर तीन माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है। रविकरन पुत्र लीला सिंह, राजकुमार पुत्र ननुवा और देवकी पुत्री ननुवा को साक्ष्य नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया। अदालत ने लड़की की मां भवानी देवी पत्नी राजन राम को बाल विवाह अधिनियम धारा 11 के तहत पांच हजार रुपये अर्थदंड से दंडित करने और अर्थदंड अदा नहीं करने पर तीन माह का कारावास भुगतने का फैसला सुनाया है।