अशोक कुमार झा
जिला संवाददाता, सिमडेगा। संतोषी की मौत में सोमवार को नया मोड़ आ गया है. संतोषी कुमार की मौत मलेरिया से हुई है. उसकी मां कोयली देवी संतोषी का इलाज कराने पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) भी गयी थी लेकिन पीएचसी बंद था. इसके बाद गांव के ही आरएमपी ने संतोषी का इलाज किया था. डॉक्टर ने उसे दो इंजेक्शन भी लगाया था और बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाने की सलाह दी थी. ये बातें झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर और सदस्य भूपन साहू ने कही.
आयोग की टीम संतोषी के परिजनों से मिलने सिमडेगा के कारीमाटी गांव पहुंची हुई थी. गांव का दौरा करने तथा कोयली देवी के परिवार से मिलने के बाद आरती कुजूर ने कहा कि बच्ची जिसके यहां बकरी चराने का काम करती थी वे लोग उसे खाना देते थे. भुख से बच्ची की मौत नहीं हुई है. आरती कुजून ने बताया कि मलेरिया से भी बच्ची अगर मरी है तो स्वास्थ्य विभाग इसमें दोषी है.
आयोग की टीम ने गांव में कोयली देवी के परिवार के अन्य बच्चों के अलावा आसपास के बच्चों को भी कुपोषण से ग्रसीत पाया. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे लोग कुपोषण पर गंभीरता से काम करें. आरती कुजूर ने कहा कि गांव मलेरिया से प्रभावित है. ऐसी स्थित में स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही और भी बढ़ जाती है. राशन लोगों को नियमित रूप से मिले अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें.
संतोषी के दादी के खाते में थे 1360 रूपये
संतोषी की मौत 28 सितंबर को हुई. उसकी मां कोयली देवी के अनुसार बच्ची भूख से मर गयी. उसके घर में अनाज नहीं था. बच्ची ने भूख से दम तोड़ दिया. किंतु कोयली देवी ने आसपास के लोगों से बच्ची के लिये खाना तक नहीं मांगा. दूसरी ओर बीडीओ संजय कोंगाड़ी ने एसडीओ जगबंधु महथा को बताया कि कोयली देवी की सास के जलडेगा स्थित को-आपरेटिव बैंक में 29 सितंबर को 1360 रूपये थे।