*प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सडको की उडी धज्जियां, रोड का आकार हुआ 50-50*
*सड़क बनने का लक्ष्य अभी पूरा भी नहीं हुआ और सड़को का आकार हुआ आधा*
विजयीपुर ब्लॉक के थाना किशुनपुर के धाता-विजयीपुर मेन रोड को जमकोइली मजरे अमनी ग्राम से जोड़ने वाली लिंक रोड सत्र 2008-09 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत इस सड़क का निर्माण कार्य हुआ था। तब से आज तक इस सड़क की मरम्मत भी नहीं की गयी। ऐसी स्थिति में यह सड़क राहगीरों के लिए अब जानलेवा साबित हो रही है। दरअसल इस मार्ग में सड़क से संटा हुआ एक तालाब है जिसमे जल के भराव के कारण मिट्टी का कटान होता रहा और आज यह स्थिति है कि सड़क अपने पूर्व आकार से घट कर ठीक उसकी आधी बची है। इस सड़क में लगातार दुर्घटनाएं होने के बावजूद भी सड़क का न तो निर्माण करवाया गया और न ही इसकी मरम्मत। जमकोइली ग्राम के प्रधान से इस बारे में शिकायतें भी की गयी और सभी दुर्घटनाओं का भी हवाला दिया गया किन्तु ग्राम प्रधान पार्वती का कहना है कि इस सड़क का निर्माण कार्य PWD विभाग के अंतर्गत है और हम इसमें कुछ भी नही कर सकते। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी की देन है। जिनकी सोंच ने ग्रामीणों में एक नई उमंग भर दी। इस योजना की शुरुआत 25 दिसम्बर 2000 में की गयी थी। इस योजना के तहत 500 गाँवो को शहरी क्षेत्रों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। इस योजना का लक्ष्य 2021 रखा गया था, किन्तु 2011-14 में कार्य निर्माण की गति 73 KM प्रति दिन थी। किन्तु 2014-16 में कार्य गति में बढ़ोत्तरी हुई और 100 KM प्रति दिन हो गयी इसके बाद वित्तीय वर्ष में इस कार्य की गति बढ़ कर 140 KM प्रति दिन हो गयी है। इस बढ़ती कार्यगति को देखते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य 2021 से बदलकर 2019 कर दिया है। किंतु घात करने वाली बात यह है कि क्या इन सड़कों का निर्माण अभी पूरा भी नही हुआ कि सडको की स्थिति बत से भी बत्तर हो गयी है और सरकार द्वारा नियुक्त इनकी देखरेख के लिए जिन जिम्मेदार व्यक्तियों की नियुक्ति की गयी है वो दरअसल सरकार की आँखों में धूल झोंक रहे है और सरकार अपने हाँथ की कठपुटली समझ कर नचा रहे है। अगर ये विभाग अपनी जिम्मेदारी नही समझते तो आखिर ये जिम्मेदारी उठाएगा कौन?