छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा से निपटने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा नए सिरे से तैयार की गई रणनीति के तहत ड्रोन कैमरे सहित अन्य अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने सुकमा हमले के बाद राज्य में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक अभियान (फाइनल ऑपरेशन) को मंजूरी देते हुए इलाके में तैनात सीआरपीएफ सहित अन्य एजेंसियों को इसे लागू करने की हरी झंडी दे दी है।
गृहमंत्री की अध्यक्षता में बनी तीन स्तरीय रणनीति
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में तीन स्तरीय रणनीति को मंजूरी दी गई। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारियों की मौजूदगी में हुई बैठक में इस अभियान की कार्ययोजना की समीक्षा की गई। अभियान के पहले चरण में नक्सली हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित सुकमा और दंतेवाड़ा सहित अन्य क्षेत्रों में नक्सली गुटों की सक्रियता वाले इलाकों को ड्रोन से चिन्हित कर इनकी घेराबंदी की जाएगी।
ड्रोन से मैपिंग का काम शुरू
अधिकारियों ने गृह मंत्री को बताया कि सक्रिय गुटों की घेराबंदी के लिए इलाके की ड्रोन से मैपिंग का काम शुरू कर दिया गया है। दूसरे चरण में अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों से नक्सलियों की सटीक पहचान कर इनकी आवाजाही पर बारीक नजर रखी जाएगी। जबकि तीसरे चरण में इनकी गतिविधियों के आधार पर चिन्हित इलाके में नक्सल विरोधी अभियान शुरू कर सुरक्षा बलों के नुकसान को न्यूनतम करने पर ध्यान केन्द्रित होगा। इसके लिए अभियान में शामिल अर्धसैन्य बल के जवानों को सेना की तर्ज पर अत्याधुनिक सुरक्षा एवं निगरानी उपकरण मुहैया कराए जा रहे हैं।
नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों में भी चलाया जाएगा निर्णायक अभियान
सिंह ने निर्णायक अभियान को नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों में भी चलाने की बात कही है। इसके लिए संबद्ध 10 राज्य सरकारों के साथ सामंजस्य और सहयोग कायम करने के लिए आगामी 8 मई को दिल्ली में आयोजित समेलन में राज्यों के मुयमंत्रियों के साथ चर्चा होगी। बैठक में बदली हुई रणनीति पर सभी राज्यों के साथ चर्चा होगी जिससे साझा रणनीति बनाकर सभी नक्सल प्रभावित राज्यों में इसे लागू किया जा सके।
सुरक्षा बलों का नुकसान न्यूनतम करने पर रहेगा जोर
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सुकमा हमले से सबक लेते हुए राज्य सरकारों के साथ सामंजस्य कायम कर अभियान के दौरान सुरक्षा बलों का नुकसान न्यूनतम करने पर जोर रहेगा। इसमें राज्य के खुफिया तंत्र की मदद से सूचनाओं का आदान प्रदान करना और घायल जवानों को यथाशीघ्र अस्पताल पहुंचाने के लिए हैलीकॉटर मुहैया कराना शामिल है। इसके लिए कुछ बैकअप टीम भी बनाई गई है। इनका काम अभियान के दौरान किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई कर अभियान को सुचारू रखना है। इसमें घायल जवानों को अस्पताल पहुंचाना और संबद्ध एजेंसियों के साथ सामंजस्य कायम करना शामिल है।