गृहमंत्री श्री अमित शाह ने आज यहाँ राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिये जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के अंतर्गत दो संकल्प और दो बिल विचार तथा पारण के लिए प्रस्तुत किये-
1. 370 (1) के प्रावधानों के अनुसार जम्मू और कश्मीर के लिए संविधान का अध्यादेश।
2. 370 (3) के अनुसार 370 को खत्म करने का संकल्प
3. जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन के लिए विधेयक
4. जम्मू-कश्मीर में ईडब्ल्यूएस के लिए 10% आरक्षण का बिल
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि घाटी के लोगों को भी 21वीं सदी के साथ जीने का अधिकार है। धारा 370 के कारण सरकार द्वारा बनाए गए कानून वहां नहीं पहुंच पाते। उनका कहना था कि मोदी सरकार युवाओं को अच्छा भविष्य देना चाहती है, उनको अच्छी शिक्षा, अच्छा रोजगार देना चाहती है, उनको संपन्न बनाना चाहती है ताकि भारत के दूसरे हिस्सों का जिस प्रकार विकास हुआ है उसी तरह की घाटी का भी विकास हो।
श्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन है और उस अधिकार के तहत राष्ट्रपति के संविधान आदेश 2019 (जम्मू-कश्मीर के लिये) पर संसद के इस सदन में प्रस्तुतिकरण किया जा रहा है।
श्री शाह ने कहा कि धारा 370 तो पहले से ही अस्थाई है और अस्थाई व्यवस्था को 70 साल तक खींचा गया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से अनुच्छेद 370 के सिर्फ खंड एक को छोड़कर अन्य खंड लागू नहीं होंगे। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के लिये भी प्रस्ताव रखा तथा जम्मू-कश्मीर में विधान सभा के साथ अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा जबकि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने की बात की।
श्री शाह ने प्रस्ताव का विरोध करने वाले सदस्यों से पूछा कि जब ऐतिहासिक रूप से केंद्रीय धन का अधिकतम हिस्सा जम्मू-कश्मीर को दिया गया, उसके बाद भी यह बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, रोजगार के अवसर आदि जैसे विकास के कार्यों में क्यों नहीं परिलक्षित हुआ है? राज्य देश के अन्य राज्यों की तरह विकसित क्यों नहीं हो पाया है? श्री शाह ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिये युवा वर्ग का उपयोग किया जा रहा है और राज्य के युवाओं की उपेक्षा करते हुए मुट्ठी भर अभिजात वर्ग इन निधियों से व्यक्तिगत लाभ प्राप्त किया। इसके अलावा मंत्री ने लिंग, वर्ग, जाति और मूल स्थान के आधार पर धारा 370 के प्रावधानों को भेदभावपूर्ण करार दिया। बिल का विरोध करने वाले सदस्यों से उन्होँने कहा कि केवल राजनीतिक कारणों से शोर शराबा न करें बल्कि धारा 370 से देश को कितना नुकसान हो रहा है इस बात पर चर्चा करें।
श्री शाह ने कहा कि जम्मू, कश्मीर, लद्दाख और विशेषकर घाटी को धारा 370 से क्या-क्या नुकसान हुए हैं इस बात की किसी ने परवाह नहीं की। उनका कहना था कि धारा 370 के कारण घर-घर में गरीबी दिखाई दे रही है। केंद्र सरकार ने सदैव ही जम्मू-कश्मीर को प्रति व्यक्ति ज्यादा धन उपलब्ध कराया फिर भी विकास की गति नहीं बढ़ पाई। केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया करोड़ों रुपया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। श्री शाह ने यह भी कहा कि धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में शिक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं हो पाई, यह धारा महिला विरोधी, गरीब विरोधी, आदिवासी विरोधी है। उनका कहना था कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र प्रफुल्लित नहीं हुआ, भ्रष्टाचार बढ़ा और चरम सीमा पर पहुंच गया। उनका यह भी कहना था कि धारा 370 के हटने से किसी को कोई मतलब नहीं है वहाँ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है इसलिए इतना हो हल्ला हो रहा है।
श्री शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर में निजी निवेश के दरवाजे खोले जाएंगे, जिससे वहां विकास की संभावना बढ़ेगी। निवेश में वृद्धि से रोजगार सृजन में वृद्धि होगी और राज्य में सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में और सुधार होगा। उन्होंने कहा कि भूमि खरीदने से निजी लोगों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से निवेश आएगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
श्री अमित शाह ने सदन में आश्वाशन दिया कि उचित समय पर केंद्र शासित प्रदेश से राज्य का दर्जा दिया जायेगा। उन्होंने विपक्ष के सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा करें और सदन को धारा 370 हटाने में एक सेकेण्ड की भी देरी नहीं करनी चाहिये।