इस लिए क्योंकि हम निंदक बन जाते हैं; आलोचक बन जाते हैं; दोष ढूँढने वाले बन जाते हैं!
हम ऐसे व्यक्ति बन जाते हैं जो समाज का कूढ़ा समाज पर फेंकते फेंकते अपने हाथ गन्दे कर रहे होते हैं!
दूसरी बात है कि हम क्षमा करने वाले नहीं बनते!
माफ़ करो आगे बढ़ो; भूल जाओ आगे बढ़ो!
बहुत दूर जाना है! दूर तक जाना है आपको इस लिए बेकार की बातों में फिज़ूल नहीं उलझिए!
परम तक पहुँचने वाला रास्ता है; छोटी मोटी यात्रा आपकी नहीं है!
एक महान यात्रा के महान यात्री को महानता का पाठ पढ़ना होगा।
और अपनी उर्जा को,अपने समय को व्यर्थ में इधर-उधर की बात में नहीं लगाना,और आगे बढते जाना,यही लक्ष्य है हमारा!सदैव उस परम शक्ति से जुड़ने का प्रयास करो तभी यह यात्रा सफल है!
*सादर हरि ॐ जी!जय गुरुदेव!