श्रीगंगानगर। राजस्थान सिख एडवाइजरी कमेटी के संयोजक तेजेन्द्रपालङ्क्षसह ‘टिम्मा’ ने बुधवार को एक प्रैस बयान जारी कर कहा कि कोर्ट बनाम डेरा सच्चा सौदा के मामले को श्रीगंगानगर जिला पुलिस-प्रशासन सिख-डेरा विवाद बनाने पर तुला हुआ है, जबकि डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम पर लगे साध्वियों के यौन शोषण एवं पत्रकार छत्रपति के कत्ल जैसे संगीन आरोपों पर संभावित अदालती फैसले से सिख कौम का कोई लेना-देना नहीं है। बावजूद इसके श्रीगंगानगर व आसपास के गांवों-कस्बों में स्थित गुरुद्वारों पर पुलिस-पैरामिल्ट्री फोर्सेज तैनात कर और सिख नेताओं को सिक्योरिटी के नाम पर पुलिसकर्मियों के घेरे में रखने जैसी साजिशें रचकर पुलिस-प्रशासन इसे डेरा-सिख विवाद के रूप में प्रायोजित करना चाहता है, ताकि किसी अप्रिय घटना के समय जिम्मेदारी से बचा जा सके।
टिम्मा के अनुसार पुलिस-प्रशासन द्वारा विगत दिवस कोतवाली पुलिस थाना में बुलाई गई बैठक में भी इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। सिख कौम के अगुवाओं गुरबचनसिंह वासन, सतनामसिंह लाडा, हरबंससिंह चावला, बलजिंद्रसिंह चहल, चरणसिंह, संतवीरसिंह मोहनुपरा, हरप्रीतसिंह, जोगेंद्रसिंह, कुलविंद्रसिंह राजू, जेपी कोचर, हरसिमरनसिंह अप्पू आदि ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को इस प्रकरण में अकारण ही सिख कौम की भूमिका तय करने पर एतराज जताया। इस दौरान टिम्मा ने कहा कि डेरा मुखी के खिलाफ लम्बित इन मामलों में सिख कौम का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में संभावित अदालती फैसले के मद्देनजर सिखों और डेरा प्र्रेमियों को एक मंच पर लाकर बैठकें करने का कोई औचित्य नहीं है। सिख नेताओं ने तो बाकायदा पूरी कौम से यह अपील की है कि डेरा मुखी से संबंधी मामले पर किसी भी वाद-विवाद से बचा जाए और खुद को ऐसी हर गतिविधि से दूर रखा जाए। टिम्मा ने पुलिस-प्रशासन को चेताया है कि डेरा मुखी पर आने वाले फैसले को लेकर चल रही अटकलों के बीच शांति व्यवस्था बनाए रखने की तमाम जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की है, जिसके लिए एहतियातन किए जाने वाले सारे इंतजामात पूरे किए जाएं। सिख कौम की ओर से हर स्तर पर पुलिस-प्रशासन का सहयोग किया