अशोक कुमार झा।

रांची। केंद्रीय खाद्य सचिव रविकांत ने कहा है कि कंप्यूटराइज खाद्यान्न वितरण में झारखंड अग्रणी राज्य है। कंप्यूटराइजेशन के कारण बिचौलियों का खात्मा हो गया है। उन्होंने कहा कि झारखंड के कतिपय इलाके में खाद्य भंडारण के लिए गोदामों की सख्त आवश्यकता है, ताकि किसी कारण से अगर उन इलाकों में ससमय खाद्य आपूर्ति नहीं होने पर भी खाद्यान्न का संकट नहीं रहे। उन्होंने बताया कि अभी कुछ इलाकों में 15 दिन से एक महीना का खाद्यान्न स्टॉक ही हो पा रहा है, यह स्टॉक कम से कम दो महीने का होना चाहिए। मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि खाद्यान्न के स्टॉक के लिए चतरा के ईटखोरी, दुमका और गोड्डा के पोरियाहाट में गोदाम बनाने की प्रक्रिया जारी है और यह जल्द पूरी कर ली जाएगी। केंद्रीय खाद्य सचिव रविकांत प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में मुख्य सचिव और अधिकारियों के साथ झारखंड में खाद्य सामग्रियों के वितरण, धान अधिप्राप्ति और खाद्य संरक्षण के मामलों के लेकर समीक्षा कर रहे थे।

केंद्रीय खाद्य सचिव ने धान अधिप्राप्ति के साथ उसकी मिलिंग भी ससमय कराने पर जोर देते हुए कहा कि इससे किसानों को समयबद्ध तरीके से भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल झारखंड में भुगतान की अवधि एक सप्ताह है, जो 48 घंटे होने चाहिए। इसके लिए उन्होंने मिलिंग की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। इस दिशा में बेहतर करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य की व्यवस्था का उन्होंने हवाला दिया। मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने राज्य के खाद्य सचिव को एक टीम छत्तीसगढ़ भेज कर वहां की व्यवस्था के अध्ययन का निर्देश दिया।

केंद्रीय खाद्य सचिव ने खाद्यान्न उठाव के संबंध में कहा कि इसमें तेजी आई है, लेकिन इसके रफ्तार में और तेजी की जरूरत है। उन्होंने 10 से 15 प्रतिशत खाद्यान्न का उपयोग नहीं होने पर चिंता जताते हुए इसके पूरे उपयोग पर बल दिया। बताया कि झारखंड में 94 फीसदी राशन कार्ड आधार से जुड़ गए हैं। जबकि, राशन कार्ड से जुड़े परिवार के सदस्यों का आधार से जुड़ाव महज 74 फीसदी है। इसे सौ फीसदी करने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का भौतिक सत्यापन कराएं, ताकि प्राप्त खाद्यान्न का पूरा उपयोग हो सके। इसके लिए प्रचार माध्यमों का सहारा लेने का सुझाव देते हुए निर्देश दिया कि इसका ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया से भय का वातावरण नहीं बने। राज्य के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के सचिव अमिताभ कौशल ने कहा कि जनवितरण दुकानदारों से असंतुष्ट होने पर उपभोक्ता को पास की दूसरी दुकान से खाद्य सामग्री लेने की व्यवस्था की जा रही है। वहीं खाद्यान्न के उठाव और ट्रांसपोर्टेशन में भी पारदर्शिता लाई गई है।

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