आपदा प्रबंधन में यूएवी तकनीक के प्रयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए एनडीएमए के सदस्य श्री आर के जैन ने कहा कि सभी हितधारको को त्वरित और कार्यकुशल आपदा प्रबंधन के लिए वर्तमान में उपलब्ध तकनीकों के इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए। श्री जैन ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सभी हितधारक आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए यूएवी तकनीक के शोध व विकास में मिलकर काम करेंगे।
एनडीएमए के सदस्य डॉ. डी एन शर्मा ने कहा कि आपदा प्रबंधन के विभिन्न चरणों में यूएवी का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है। ये हमें आपदा से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।
इस सत्र में एनडीएमए के अधिकारियों, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू), अन्ना विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नेशनल एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एनएएल), नगालैंड जीआईएस और रिमोट सेंसिंग सेंटर, नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एनईएसएसी) जैसे कई संगठनों ने भी भाग लिया। कई राज्यों के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और अधिकारियों (एसडीएमए) ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
यूएवी दुर्गम स्थानों की उच्च-क्षमता वाली रीयल-टाइम तस्वीर प्रदान कर सकते हैं। इन तस्वीरों के आधार पर आपदा क्षेत्रों का सटीक नक्शा बनाया जा सकता है। इससे आपदा प्रबंधन की कार्यवाहियों को निश्चित करने में मदद मिल सकती है। आपदा के बाद वाली स्थिति में भी यूएवी का इस्तेमाल कम समय में उच्च क्षमता वाले नक्शे बनाए जा सकते हैं। इससे आपदा प्रबंधन की गति त्वरित और प्रभावी की जा सकती है।