आज किसान ऐकता मंच ने फतेहाबाद के विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया के मार्फ़त मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को पत्र भेजा जिसमे मांग की गई के सरकार फसल बीमा योजना के तहत बीमा कम्पनियों को प्रीमियम देने की बजाय खुद एक खाता खोले ओर उसमे ये पैसा जमा कर ले और उसमें से जब भी किसान पर आपदा आये तो उसमें से उन किसानों को राहत दी जाए जिन्होंने उस खाते में प्रीमियम जमा करवाया हो।उसके लिए सरकार को कोई अलग से किसी प्रकार के प्रबन्द भी नही करने पड़ेंगे क्योंकि कृषि विभाग पहले ही इस प्रकार की आपदा से निपटता है बस दिक्कत पैसे की थी वो बीमा कम्पनी को देने की बजाय उस खाते में जमा हो जाएंगे तो कोई दिक्कत नही रहेगी पटवारी गिरदावरी करता है ऐ डी ओ सब प्रकार की रिपोर्ट तैयार करते ही है सब किसानों के खाते ओर जमीन सरकार ऑन लाईन कर ही रही है।
सरकार और किसानों का एक फसल के लिए जितना प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया गया उतना मुआवजा कभी भी नही दिया गया उस पैसे को बीमा कम्पनी हजम कर गयी ना अब वो पैसा सरकार ले सकती है ना किसान।पहली किस्त में 2588 करोड़ बीमा कंपनियों को दिए गए जिसमे से 1300 करोड़ सरकार के द्वारा दिये गए थे।आज तक का ओला वृष्टि का सबसे ज्यादा मुआवजा 1072 करोड़ किसानों को बांटा गया है और हर बार फसल खराब नही होती।सरकार किसानों को मुआवजा जल्दी नही देती लेकिन आज तक दिए गए मुआवजे से कहीं ज्यादा पैसा हर बार बीमा कम्पनी को एक क्लिक में ट्रांसफर कर रही है इस प्रकार अब तक 9000 करोड़ रुपया बीमा कम्पनियों के पास जा चुका है।अगर यही पैसा हरियाणा किसान राहत कोष या किसान ग्रुप इंसोरेंस बनाकर उसके अकाउंट में रखा जाता तो आगे के बीमे के लिए प्रीमियम बढ़ने की बजाय घट जाता और एक दिन हो सकता है कि किसान राहत कोष में इतना पैसा जमा हो जायेगा जिससे प्रीमियम काफी कम किया जा सकता है कि हर कोई खुशी खुसी अपना बीमा करवाये।इस राहत कोष को सरकार ही सम्भाले ना इसका कोई कर्मचारी हो ना कोई और जो किसान बीमा करवाये उसका बीमा बैंक ,पटवारी या कृषि अधिकारी पैसे लेकर राहत कोष में सीधे जमा कर दे या किसान उस राहत कोष में पैसे जमा करवा कर पटवारी के पास रशीद तय अवधि के दौरान जमा करवा दे ओर पटवारी उसकी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंप दे। जिन किसानों ने बीमा करवाया हो उनको सरकार किसी आपदा आने पर जिस प्रकार मुआवजा बांटती है उनको उसी प्रकार बांट दे।ये भी तय किया जाये की किसान राहत कोष का पैसा किसी भी स्थिति में किसी दूसरी योजना या आपदा के लिए ना प्रयोग किया जाए ना ही किसी प्रचार प्रसार या किसी भी प्रकार की सैलरी आदि के लिए प्रयोग किया जाए।किसान राहत कोष का हर साल कैग से ऑडिट किया जाए।किसान राहत कोष के आये पैसे और दिए पैसे की जानकारी भी ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिए।
किसान ग्रुप इंसोरेंस भी बनाया जा सकता इसी प्रकार सेना में है आर्मी ग्रुप इंसोरेंस उसमे कोई अलग से टीम नही है जो उस पैसे से सेलरी या कोई प्रचार प्रसार करती हो।जो थोड़े बहुत है उनको सरकार सेलरी देती है। कृषि विभाग में तो पहले सारा सिस्टम है,सरकार फसल खराब होने पर मुआवजा देती ही थी।